Kaayguru.Marathi

मंगळवार, नोव्हेंबर ०९, २०२१

चाहत



एक  प्यार  भरी  चाह़त  थी
आपके संग जिने- मरने की…
हाथ में लेकर हाथ चलेंगे साथ ।

उम्मीद  थी   तुम  आओंगे
इंतज़ार  रहा   सारी  रात ।

नज़र  थमी थी दरवाजे पर
राह तक़ती रही सारी रात ।

सेज़ सजी थी अरमानों की
अश्क़  बहते रहे सारी रात।

दिल मोम जैसा जलता रहा
पिघलता  रहा  सारी   रात।

भोर   हुई   तो  जाना  हमने
ए    दिल   तू    ही   नादांन
प्यार   किसे   कर  बैठे  हम
जिसे हमारी चाहत़ ही न थी ।

© प्रा.पुरुषोत्तम पटेल " पुष्प "


१३ टिप्पण्या:

  1. हिंदी भाषा वापरून देखिल सर आपण छान कविता करता

    उत्तर द्याहटवा
  2. लाजवाब सर, चाहत पे तो दूनिया डटी हुई है!👌👌
    विजय बोरदे

    उत्तर द्याहटवा

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